पत्नी के प्यार में रिटायर्ड इंजीनियर ने घर में बना दिया आइसीयू

प्यार में इंसान कुछ भी कर गुजरता है और जब जीवनसंगिनी की जान पर बन आए तो असंभव को भी संभव करके दिखा देता है। 

पेशे से इंजीनियर ज्ञानप्रकाश खरे की कहानी दिल को छू लेने वाली है। जिन्होंने अस्पताल के रोज-रोज के झंझटों से मुक्ति पाने के लिए जुगाड़ से घर को ही आइसीयू में तब्दील कर दिया था। जिसमें ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ वेंटिलेटर तक शामिल है। जब पत्नी को नहीं बचा पाए, तो जुगाड़ से तैयार किए गए सभी उपकरण पुलिस अस्पताल को दान कर दिए ताकि वे किसी के काम आयें। 

आयुध निर्माणी से रिटायर्ड अधारताल निवासी ज्ञानप्रकाश बताते हैं कि उनकी जिंदगी बड़े आराम से चल रही थी। वे खाली समय को समाजसेवा में लगाते और परिवार के साथ खुशियां मनाते थे। बात 2016-17 की है जब पत्नी कुमुदिनी (तब 72 साल) को सांस लेने की समस्या शुरू हुई। वे अस्पताल के चक्कर काटने को मजबूर हो गए। इसी बीच कोविड का दौर शुरू हुआ तो पता चला कि कुमुदिनी के फेफड़ों में समस्या है। पत्नी को हमेशा ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखने की विवशता को देखते हुए उन्होंने अपने घर के कमरे को ही अस्पताल के आइसीयू में बदल दिया था।

कमरे में वेंटिलेटर सहित उन सभी उपकरणों को जुटाया जो एक अच्छे अस्पताल के आइसीयू में होते हैं। तकरीबन एक साल तक बीमारी से जूझते हुए कुमुदिनी जीवन की जंग हार गईं। ज्ञानप्रकाश ने पत्नी की यादों को सहेजने और उपकरणों का भरपूर इस्तेमाल हो सके, उसी उद्देश्य से उस आइसीयू को पुलिस अस्पताल को दान कर दिया। ज्ञानप्रकाश के इस जुगाड़ को देख हर कोई तरीफ करे बिना नहीं रहा।

true love story of a retired engineer
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हर हफ्ते 2 ऑक्सीजन सिलेंडर ही मंगवाता

ज्ञानप्रकाश बताते हैं कि कोरोनाकाल में अस्पताल से ज्यादा अच्छे तरीके से वह घर पर अपनी पत्नी की देखभाल कर पाए। ऑक्सीजन की लगातार सप्लाई बनाए रखने के लिए हर हफ्ते 2 सिलेंडर ही मंगवाने पड़े।

ऐसा था जुगाड़

ज्ञानप्रकाश ने बताया, उनकी पत्नी के लंग्स फेल यानी रेस्पिरेटरी फेलियर सीओटू नॉर्कोसिस बीमारी हो गई थी। उन्हें अक्सर अस्पताल लेकर भागना पड़ता था। यह प्रक्रिया चार साल तक चलती रही। नवम्बर 2020, में घर पर आइसीयू का सेटअप तैयार करने की योजना बनाई। ऑक्सीजन पाइपलाइन की फिटिंग कराई। फिर एक कमरे को आइसीयू में तब्दील किया। यहां सक्शन मशीन, नेबुलाइजर, एयर प्यूरीफायर, ऑक्सीजन कन्संट्रेटर, कार्बन डाइऑक्साइड मॉनिटर और वेंटिलेटर लगाया। बेड पर लगी ऑक्सीजन पाइप लाइन 5 मीटर लम्बी रखी गई। ताकि जरूरत पड़ने पर पत्नी को बाहर बरामदे तक लाया जा सके।


बिजली गुल होने का असर नहीं

ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम और वेंटिलेटर को बिजली के अलावा सोलर बैटरी से भी जोड़ रखा था। ज्ञानप्रकाश कहते हैं कि इससे बिजली गुल होने का कोई असर नहीं होता। ऐसी दशा में तत्काल सोलर सिस्टम चालू हो जाता है जो बिजली देता रहता था। ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम, वेंटिलेटर व अन्य मेडिकल आवश्यकताओं की जानकारी के लिए कई किताबें पढ़ी और इंटरनेट पर घंटों सर्च किया


4 लाख में हुई थी पूरी व्यवस्था
ज्ञानप्रकाश का कहना है कि वेंटिलेटर को छोड़ दिया जाए तो ऑक्सीजन सप्लाई की यह पूरी व्यवस्था सहित कमरे को आइसीयू के समान तैयार करने में महज 2 लाख रुपए खर्च आता हैवेंटिलेटर सहित इसकी लागत करीब 4 लाख आती है। वह कहते हैं कि उनके एक बेटा और एक बेटी है, दोनों अमरीका में सेटल हो गए हैं।
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